लेखक पतंग लूटने के लिए आकाश की ओर देखता हुआ दौड़ा जा रहा था। उसकी आँखें आकाश में उड़ने वाली पतंग रूपी यात्री की ओर थीं। अर्थात् उसे पतंग आकाश में उड़ने वाली दिव्य आत्मा जैसी मनोरम प्रतीत हो रही थी। वह आत्मा मानो मंद गति से झूमती हुई नीचे https://heinzb455iez1.wikiusnews.com/user