ॐ ह्रीं ॐ वशीकरण महाशक्त्यै ह्रीं ॐ ह्रीं श्री राजमातंगिन्यै स्वाहा त्रिपुरा पार्श्वयोः पातु गुह्ये कामेश्वरी मम ।। शिरो मातंगिनी पातु भुवनेशी तु चक्षुषी । हे माता ! ब्रह्मादि देवताओं ने तुम्हारे चरणकमलों की आराधना करके विश्रुत कीर्तिलाभ की है, तथा मुनीन्द्र भी परम विभव को प्राप्त हुए हैं, https://www.youtube.com/watch?v=qxbKESM-GBA